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भारत के जेन-ज़ी सुपरस्टार: 13 की उम्र में स्टार्टअप, 14 में शतक; ये हैं आज के जेन-ज़ी

By Ranjan Kumar

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14 की उम्र में IPL शतक
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भारत के जेन-ज़ी सुपरस्टार:- आज की युवा पीढ़ी, जिसे जेनरेशन ज़ी (Gen Z) कहा जाता है, अपने जुनून, तकनीकी समझ और आत्मविश्वास के बल पर कम उम्र में ही असाधारण उपलब्धियाँ हासिल कर रही है। चाहे वह क्रिकेट का मैदान हो या स्टार्टअप की दुनिया, ये युवा अपनी मेहनत और लगन से नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं।

बिहार के समस्तीपुर जिले के ताजपुर गांव में जन्मे वैभव सूर्यवंशी ने महज 14 साल की उम्र में इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में शतक लगाकर इतिहास रच दिया। राजस्थान रॉयल्स की ओर से खेलते हुए उन्होंने 35 गेंदों में 101 रन बनाए, जिसमें 11 छक्के और 7 चौके शामिल थे। यह IPL इतिहास में दूसरा सबसे तेज शतक था, जो केवल क्रिस गेल के 30 गेंदों में बने शतक से पीछे है।

भारत के जेन-ज़ी सुपरस्टार

वैभव का क्रिकेट सफर चार साल की उम्र में शुरू हुआ, जब उनके पिता ने उनके जुनून को पहचानते हुए घर के पीछे एक छोटा सा खेल मैदान बनाया। उनके पिता, संजीव सूर्यवंशी, ने अपने बेटे के सपनों को साकार करने के लिए अपनी जमीन तक बेच दी।

27 मार्च, 2011 को बिहार के समस्तीपुर जिले के मोतीपुर गांव में जन्मे वैभव की क्रिकेट यात्रा चार साल की छोटी सी उम्र में ही शुरू हो गई थी। अपने बेटे के जुनून को पहचानते हुए वैभव के पिता संजीव सूर्यवंशी, जो एक किसान और अंशकालिक पत्रकार हैं, ने अपने बेटे के प्रशिक्षण के लिए अपनी कृषि भूमि बेच दी। नौ साल की उम्र में वैभव का दाखिला समस्तीपुर में एक क्रिकेट अकादमी में हो गया और जल्द ही उनकी प्रतिभा जगजाहिर हो गई।

  • एक ही साल में 49 शतक और तीन दोहरे शतक बनाना।
  • हेमैन ट्रॉफी में तीन शतक और तीन अर्धशतकों सहित 670 रन बनाना।
  • वीनू मांकड़ ट्रॉफी में 393 रन बनाकर बिहार की अंडर-19 टीम का नेतृत्व करना।

भारत के जेन-ज़ी सुपरस्टार

महज 12 साल और 284 दिन की उम्र में वैभव ने रणजी ट्रॉफी में पदार्पण किया और ऐसा करने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए। उन्होंने सचिन तेंदुलकर और युवराज सिंह जैसे दिग्गजों के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया।

महज 13 साल की उम्र में ‘पेपर्स एन पार्सल्स’ नामक लॉजिस्टिक्स स्टार्टअप की शुरुआत की। इस स्टार्टअप का उद्देश्य मुंबई में एक ही दिन में पार्सल डिलीवरी की सुविधा प्रदान करना था। तिलक का विचार तब आया जब उन्होंने महसूस किया कि एक किताब की डिलीवरी में बहुत समय लग रहा है। उन्होंने मुंबई के डब्बावालों के नेटवर्क का उपयोग करके इस समस्या का समाधान निकाला।

तिलक की इस पहल ने उन्हें युवा उद्यमियों की श्रेणी में ला खड़ा किया और उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा गया।

आज की पीढ़ी का माइंडसेट पूरी तरह बदल चुका है। वे कम उम्र में ही अपने लक्ष्य तय कर लेते हैं और उसी दिशा में मेहनत शुरू कर देते हैं। उनके लिए उम्र सिर्फ एक संख्या है, महत्व है तो उनके सपनों और उन्हें साकार करने की लगन का।

जेन-ज़ी बच्चे तकनीक से पूरी तरह परिचित हैं। वे सोचते हैं, रिसर्च करते हैं और तेजी से निर्णय लेते हैं। सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने उन्हें अपने विचारों और प्रतिभा को दुनिया के सामने लाने का मंच प्रदान किया है।

पहले गाइडेंस की कमी होती थी, पर अब हर फील्ड में कोच, ट्रेनिंग सेंटर, यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म और अनुभवी लोगों की मदद आसानी से मिल जाती है। इससे बच्चों की तरक्की की रफ्तार तेज हो गई है।

आज के जेन-ज़ी युवा अपने जुनून, तकनीकी समझ और आत्मविश्वास के बल पर कम उम्र में ही असाधारण उपलब्धियाँ हासिल कर रहे हैं। चाहे वह क्रिकेट का मैदान हो या स्टार्टअप की दुनिया, ये युवा अपनी मेहनत और लगन से नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। उनकी सफलता हमें यह सिखाती है कि सही मार्गदर्शन, संसाधन और आत्मविश्वास के साथ कोई भी सपना साकार किया जा सकता है।

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