अब हर शनिवार सरकारी स्कूलों में बच्चों को सिखाए जाएंगे आपदा प्रबंधन के गुर | मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम 2025:-राज्य के सभी सरकारी स्कूलों के बच्चे अब पढ़ाई के साथ-साथ सीखेंगे सभी तरह की आपदा से बच्चने के गुर। इससे संबंधित विस्तृत कार्ययोजना मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत तैयार की गई है।
अब सरकारी स्कूल के बच्चे सीखेंगे आपदा में बचने के गुर, खुद भी और दूसरों को बचाएंगे
सभी माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालय में खासतौर से कक्षा 8 एवं 9 के बच्चों के बीच प्रत्येक सप्ताह की शनिवार को सुरक्षित शनिवार के नाम से विशेष सुरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन किया जाएगा। इसे लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी की बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के राज्य योजना निदेशक मयंक बड़बड़े के स्तर से सभी संबंधित दिशा-निर्देश का उल्लेख करते हुए पत्र जारी किया है।
सुरक्षा
मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम के तहत स्कूलों में हर शनिवार को आयोजन
राज्य स्तर पर प्रशिक्षित इन शिक्षकों को फोकल शिक्षक के नाम से जाना जाएगा। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए प्रत्येक माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालय से एक एक शिक्षक को राज्य स्तर पर दो दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कराया जाएगा। यह प्रशिक्षण पटना स्थित चंद्रगुप्त प्रबंधन संस्थान में कराया जाएगा, जिसकी शुरुआत 30 जून से हो रही है। अलग-अलग जिलों के 150-150 शिक्षकों के बैच में यह प्रशिक्षण आयोजित कराने की योजना है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 26 सितंबर 2025 तक चलेगा। इसके बाद अगले चरण में बचे हुए स्कूलों के शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
शिक्षकों के माध्यम से आपदाओं की दी जाएगी जानकारी
इस कार्यक्रम के अंतर्गत भूकंप, अगलगी, बाढ़ जैसी आपदाओं के अलावा अचानक आई अन्य किसी तरह की आपात स्थिति में स्वयं और अपने साथ के लोगों का तुरंत कैसे बचाव करें। इससे संबंधित मूलभूत बातों की विस्तृत जानकारी दी जाएगी। ताकि आपदा के दौरान हताहत के साथ ही जान-माल के नुकसान को कम से कम किया जा सके।
2018-19 में शुरू हुई योजना
यह योजना बिहार के स्कूलों में 2018-19 से शुरू की गई थी, लेकिन बीच में कोरोना आने के कारण यह बंद हो गया था। इसके शुरुआती चरण में निचले स्तर के विद्यालयों में स्कूल सुरक्षा कार्यक्रम को मजबूती से लागू करने के लिए बच्चों को प्रशिक्षण दिए गए थे। परंतु इस बार माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में खासतौर से इस कार्यक्रम को पूरी मजबूती से नए कलेवर के साथ चलाने की कवायद शुरू कर दी गई है।
मुख्य उद्देश्य क्या है?
- गांव-घर से लेकर शहरों तक के विद्यालयों में जागरूकता और प्रशिक्षण फैलाना।
- छात्रों में आपदा के समय सतर्कता और त्वरित प्रतिक्रिया की क्षमता विकसित करना।
- छात्रों को प्राथमिक चिकित्सा, सुरक्षित निकासी, और आपातकालीन कॉल करने की प्रक्रिया की जानकारी देना।
- छात्र खुद के साथ-साथ दूसरों की भी जान बचाने के लिए तैयार रहें।
प्रशिक्षण कैसे दिया जाएगा?
- प्रत्येक शनिवार, स्कूलों में मॉक ड्रिल कराई जाएगी।
- शिक्षकों को भी प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि वे बच्चों को बेहतर तरीके से मार्गदर्शन दे सकें।
- छात्रों को समूह बनाकर विभिन्न आपदाओं की स्थिति में व्यवहारिक अभ्यास कराया जाएगा।
- बाल सभा के माध्यम से बच्चों की भागीदारी को प्रेरित किया जाएगा।
छात्रों के लिए लाभ
- आपदा के समय आत्म-निर्भर बनने का अवसर।
- स्कूल के बाहर भी घर और समाज में दूसरों की मदद करने की भावना जागेगी।
- सुरक्षा के प्रति सजग नागरिक के रूप में बच्चों का विकास।
अब पूरे बिहार में जागरूकता की नई लहर
इस कार्यक्रम के विस्तार से राज्यभर के लाखों बच्चों और शिक्षकों को लाभ मिलेगा। इससे न केवल आपदा के समय जान-माल की रक्षा होगी, बल्कि समाज में सुरक्षा और सेवा की भावना भी विकसित होगी।
प्रयोगों के माध्यम से बच्चों को विज्ञान और आधुनिक तकनीकों से जुड़ा
बच्चों के लिए इनारको आफ्टर स्कूल वर्कशॉप का अंतिम सत्र हुई। यह कार्यशाला विज्ञान केंद्र के इनोवेशन हब में आयोजित की जा रही है, जहां बच्चों को विज्ञान और तकनीक से जुड़ी रोचक जानकारियां दी जा रही हैं। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य बच्चों को प्रयोगों के माध्यम से विज्ञान सिखाना और उन्हें आधुनिक तकनीकों से जोड़ना है। वर्कशॉप में मेंटर गौरव बच्चों को मार्गदर्शन दे रहे हैं।
उन्होंने बताया कि
वर्कशॉप के दौरान विज्ञान से जुड़े पांच अलग अलग प्रयोगात्मक सत्र कराए गए, जिनमें बच्चों को प्रयोगशाला के माहौल में सीखे। बच्बों में वैज्ञानिक सोच को विकसित करने के लिए उन्हें खुद से प्रयोग करने और उनके निष्कर्षों को समझने की प्रक्रिया में शामिल किया गया। आज के सत्र में बच्चों ने पौधे की कोशिका की अस्थायी स्लाइड तैयार करने की प्रक्रिया सीखी।
निष्कर्ष
मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम केवल एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि एक सामाजिक जागरूकता अभियान है, जो बच्चों को जीवन की सबसे जरूरी शिक्षा — “संकट में जीवन की रक्षा” देना सिखा रहा है। यह कदम न केवल भविष्य की पीढ़ी को सुरक्षित बनाएगा, बल्कि बिहार को आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में देशभर में एक नई पहचान दिलाएगा।
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